Fascination About मध्यकालीन भारत का इतिहास

जवाहरलाल नेहरू, चाउ एन-लाई, कमे एनक्रूमा

भारतवर्ष का नाम भारत क्यों पड़ा? माना जाता है की ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर भारत नाम पड़ा।

इसमें भारत की भागीदारी काफी अहम होगी. इस तरह दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा.

मुगल बहते पानी के साथ उद्यान बिछाने के शौकीन थे। मुगलों के कुछ बाग कश्मीर के निशात बाग, लाहौर के शालीमार बाग और पंजाब के पिंजौर के बाग़ में हैं।

इसके अलावा ईरान में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार पोर्ट के विकास में भारत सहयोग कर रहे है. भारत के लिए भी यह बंदरगाह काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंचने के लिए इससे भारत को सीधा समुद्री मार्ग मिल जाएगा.

पत्रकारिता के एक रूप को रोमन गणराज्य के जन्म के साथ विकसित हुआ माना जा सकता है.

अभिलेखों के अध्ययन को पुरालेखशास्त्र अथवा पुरालिपि शास्त्र कहते हैं। प्रायः अभिलेख स्तंभों, शिलाओं, गुफाओं, मूर्तियों आदि पर उत्कीर्ण करवाए जाते थे। इस संदर्भ में अशोक के शिलालेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं । अशोक के शिलालेखों से अशोक के जीवन, विचार, साम्राज्य विस्तार, धर्म संबंधी दृष्टिकोण इत्यादि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। अशोक के अतिरिक्त कलिंग राजा खारवेल का हाथी गुंफा अभिलेख, समुद्रगुप्त का प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख, स्कंदगुप्त का भितरी स्तंभलेख तथा पुष्यमित्र शुंग का स्तंभलेख आदि भी महत्त्वपूर्ण स्त्रोत हैं। ये सब राजकीय या सरकारी अभिलेख हैं। इसी प्रकार गैर-राजकीय अभिलेख भी होते हैं, जिन्हें भी प्रमुख पुरातात्विक स्रोत के रूप में माना जाता है। वस्तुतः गैर-राजकीय अभिलेख प्रायः मंदिर की दीवारों एवं मूर्तियों पर अंकित हैं।

भारत दूसरी website बार बना क्रिकेट विश्व चैंपियन: २०११ में क्रिकेट की दुनिया में बड़ी जीत दर्ज करते हुए भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में श्री लंका को हराकर दूसरी बार क्रिकेट विश्व कप अपने नाम कर लिया।

कनिष्क बमकांड: २३ जून १९८५ को बब्बर खालसा के आतंकवादियों ने आयरलैंड से टोरंटो आ रहे एयर इंडिया के विमान को बम से उड़ा दिया, जिसमें सवार सभी ३२९ यात्री मारे गए।

कोडरमा : अफीम तस्करी मामले में जिला अदालत ने दोषी...

भारत के राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों से सम्बन्धित सूचियाँ

जब यह युद्ध आरम्‍भ हुआ था उस समय भारत औपनिवेशिक शासन के अधीन था। यह काल भारतीय राष्ट्रवाद का परिपक्वता काल था। किन्तु अधिकतर जनता गुलामी की मानसिकता से ग्रसित थी। भारत की जनता, ब्रिटेन के दुश्मन को अपना दुश्मन मानती थी। उस समय तक सरकार को 'माई-बाप' समझने की प्रवृत्ति थी और इसलिए जो भी सहयोग ब्रिटेन की भारत सरकार ने चाहा वो भारत के लोगों ने दिया। भारत की ओर से लड़ने गए अधिकतर सैनिक इसे अपनी स्वामीभक्ति का ही हिस्सा मानते थे। जिस भी मोर्चे पर उन्हें लड़ने के लिए भेजा गया वहां वो जी-जान से लड़े। इस युद्ध में ओटोमन साम्राज्य के खिलाफ मेसोपोटेमिया (इराक) की लड़ाई से लेकर पश्चिम यूरोप, पूर्वी एशिया के कई मोर्चे पर और मिस्र तक जा कर भारतीय जवान लड़े।

भारत के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ अनसुलझे सीमा विवाद हैं। इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है। १९६२ में चीन के साथ, तथा १९४७, १९६५, १९७१ एवं १९९९ में पाकिस्तान के साथ लड़ाइयाँ हो चुकी हैं।

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